इसके कारण शरीर का एसीड – अल्कली इत्यादि का बैलेंस बिगड़ जाता है और एकाध चीज़ की कमी से बीमारी आ जाती है । तो न्यूरोथेरेपी में हम शरीर के विभिन्न अंगों पर खास प्रकार के दबाव द्वारा उन ग्रंथियों को उकसा कर उनके कार्य को सुचारु रूप से चलाते हैं ।
यदि शरीर की रोग-प्रतिकार शक्ति किसी कारण वश कम हो तो उस समय अगर कोई वायरस या बैक्टीरिया शरीर पर हमला करता है तो शरीर उसका मुकाबला नहीं कर पाता और बीमारी के वश हो जाता है । तब न्यूरोथेरेपी द्वारा उनकी रोग-प्रतिकार शक्ति को बढ़ा कर शरीर को स्वस्थ किया जाता है ।
न्यूरोथेरेपी में किसी भी प्रकार की दवाई या साधन का इस्तेमाल नहीं होता । ये उपचार देते समय थेरेपिस्ट दोनों तरफ कुर्सियों का सहारा लेकर अपने पैरों से मरीज के हाथ, पैर, जांघ इत्यादि पर दबाव देते हैं । मरीज को किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होती। यह उपचार एक दिन के बच्चे से लेकर सौ साल के उमर तक हर व्यक्ति करवा सकता है । बिल्कुल छोटे बच्चों को हाथ से एवं बड़ी उम्र के व्यक्ति को पैरों से उपचार देते हैं।
दूसरे विधाओं में दवाइयाँ देते हैं जो शरीर के अंदर के केमिकल के आधार पर बनायी जाती हैं । पर वह शरीर के बाहर की चीज़ है, तो शरीर उसे जितना चाहिये उतना आत्मसात नहीं कर पाता । कभी-कभी तो बीमारी एक तरफ रह जाती है और उन दवाइयों के गलत परिणाम से भयानक बीमारियाँ जन्म लेती हैं । जैसे मधुमेह का रोगी जब बरसों तक दवाइयाँ खाता रहता है तब आगे जाकर उन दवाइयों के बुरे असर साइड इफेक्ट ” की वजह से उन मरीजों के कानों पर एवं आँखों पर बुरा असर होता है, एवं हृदय रोग या किडनी फेल्यूर जैसी बीमारियाँ आ जाती हैं। न्यूरोथेरेपी इन सब साइड इफेक्ट ” से बचाती है क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार की औषधि का सेवन ही नहीं होता ।
एक्यूप्रेशर एक प्राचीन चिकित्सा तकनीक है जिसकी जड़ें पारंपरिक चीनी चिकित्सा में हैं। इसमें शारीरिक बिंदुओं पर मैन्युअल दबाव लगाना शामिल है, जिन्हें एक्यूपॉइंट्स कहा जाता है, ताकि शरीर की स्व-चिकित्सा क्षमताओं को प्रोत्साहित किया जा सके। यह प्रैक्टिस जीवन ऊर्जा या “ची,” जो शरीर में मेरिडियन्स या ऊर्जा मार्गों के माध्यम से बहने का सिद्धांत पर आधारित है।
एक्यूपॉइंट्स: एक्यूप्रेशर ऊर्जा को संकलित माने जाने वाले शारीर के मेरिडियन्स पर विशेष बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करता है, जो अक्सपंक्चर पॉइंट्स के समान स्थानों पर पाए जाते हैं।
ची की धारा: पारंपरिक चीनी चिकित्सा के अनुसार, जब ची का प्रवाह संतुलित और अवरुद्ध होता है, तो अच्छे स्वास्थ्य का बनाए रखा जा सकता है। एक्यूप्रेशर का उद्देश्य शरीर की ऊर्जा के धारा में समरसता और संतुलन को पुनर्स्थापित करना है।
तकनीकें: एक्यूप्रेशर को उदाहरण के रूप में उंगली दबाव, हथेली दबाव या एक्यूप्रेशर के लिए विशिष्ट उपकरणों का उपयोग करके विभिन्न तकनीकों के माध्यम से लागू किया जाता है। दबाव सामान्यत: एक लयबद्ध और वृत्ताकार गति में लागू किया जाता है।
इलाज होने वाली स्थितियां: एक्यूप्रेशर का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे कि दर्द प्रबंधन, तनाव कमी, विश्राम और समग्र भलाइयों की सुधार के लिए किया जाता है। यह सामान्यत: परंपरागत चिकित्सा उपचारों के साथ एक पूरक थेरेपी के रूप में प्रयुक्त होता है।
दर्द कमी: एक्यूप्रेशर का प्रमुख उपयोग दर्द कमी में है। इसे सिरदर्द, माइग्रेन, कमर दर्द, और विभिन्न प्रकार के मांसपेशियों की आफत को कम करने में प्रभावी होने के लिए जाना जाता है।
तनाव कमी: एक्यूप्रेशर को शांति प्रमोट करने और तनाव कमी करने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। तनावमुक्ति से संबंधित
सुजोक, जिसे अक्सर सु-जोक या सुजोक थेरेपी के रूप में जाना जाता है, एक योग्य चिकित्सा तकनीक है जो दक्षिण कोरिया के चिकित्सक और चिकित्सा शोधकर्ता डॉ. पार्क जे व्हू ने विकसित की है। इस चिकित्सा विधि का नाम ‘सुजोक’ से लिया गया है, जिसमें “सु” सुजोक को दक्षिण कोरिया में चिकित्सा के लिए एक विशेषज्ञ बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, और “जोक” जापानी शब्द है जिसका अर्थ होता है “अपने आप”।
अंगुलियों और हाथों के चिकित्सा: सुजोक में, शरीर के विभिन्न हिस्सों को अंगुलियों और हाथों के माध्यम से चिकित्सा किया जाता है। इसमें नर्व सिस्टम और मानव शरीर की अंतर्दृष्टि को बढ़ावा मिलता है।
मानव शरीर का पूर्ण प्रतिनिधित्व: सुजोक का मूल सिद्धांत है कि हाथ और पैर के छोटे हिस्सों को मानव शरीर के पूर्णता का प्रतिनिधित्व करता है। इन छोटे हिस्सों को मार्गदर्शन करके विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामाधान किया जा सकता है।
चिकित्सा के लिए योग्य: सुजोक चिकित्सा विभिन्न समस्याओं के लिए योग्य है, जैसे कि दर्द निवारण, मानसिक स्वास्थ्य सुधार, और रोगों का उपचार।
अर्थक्रम मार्गदर्शन: सुजोक चिकित्सा में यह मान्यता प्राप्त है कि हर अंगुली और हाथ का विशेष संबंध विभिन्न अंगों और अंगों के साथ है, और इसे योगिक प्रक्रिया के माध्यम से संतुलित किया जा सकता है।
सेल्फ-हेल्प: सुजोक चिकित्सा को सीखना और स्वयं इसे अपनाना सरल है, जिससे लोग स्वयं अपनी सेहत की देखभाल कर सकते हैं।
आपसी इफेक्ट की अभावपूर्णता: सुजोक चिकित्सा में बिना किसी दवा के या अन्य उपचार के साथ आपसी इफेक्ट की कमी होती है, जिससे इसे सुरक्षित बनाता है।
सुजोक चिकित्सा का अध्ययन और प्रशिक्षण किए गए व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए ताकि इसे सही और प्रभावी रूप से अपनाया जा सके। साथ ही, किसी भी चिकित्सा प्रक्रिया का आधारभूत रूप से इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना उचित है।